हमारा शरीर अनगिनत रंगों से निर्मित है, इन रंगों की सूक्ष्मता ही शरीर के स्वास्थ्य को परिभाषित करती है। योग के अनुसार , किसी भी प्रकार का रोग शरीर के सूक्ष्म कोशों में उत्पन्न हुए एक असंतुलन का ही लक्षण है जो एक क्लैरवॉयन्ट को गाढ़े रंगों के रूप में दिखाई देता है। सनातन क्रिया में कुछ एसी तकनीकों का उल्लेख है जिनका अभ्यास कर आप अपनी सूक्ष्म कोश में प्रवेश कर किसी भी असंतुलन को संतुलन में लाकर रोग के लक्षणों को शरीर में प्रकट होने से पूर्व ही उसे दूर कर सकते हैं। पिछले लेख में आध्यात्मिक चिकित्सा के मूलभूत सिद्धांतों पर चर्चा करने के बाद, हम अब चिकित्सा की तकनीकों को समझते हैं। आध्यात्मिक चिकित्सा की तकनीक दो प्रकार की होते हैं: आत्म चिकित्सा तथा किसी दूसरे की चिकित्सा । इन दोनों में से किसी भी चिकित्सा को प्रारम्भ करने से पूर्व आध्यात्मिक चिकित्सक को कुछ तैयारियाँ करना आवश्यक होता है। आध्याम्तिक चिकित्सा या अन्य किसी भी साधना के लिए गुरु का होना अनिवार्य है, क्योंकि शक्ति का सञ्चालन वहीँ से होता है । चिकित्सा आरम्भ करने से पूर्व गुरु से संपर्क बनाएं । इसके लिए, गुरु स्मरण करते ह...
Journey of the spirit 'Sanatan Kriya'