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जीवन में गौमाता के अभिशाप से बचने के लिए न करें ऐसा कार्य

हमारे पूर्वजों को सृष्टि के नियमों का सम्पूर्ण ज्ञान था। वह गाय के महत्त्व और उसके प्रति दुर्व्यवहार और शोषण के परिणामों से भी भली-भांति परिचित थे। वेदों में भी गाय के महत्व का उल्लेख है। अथर्ववेद में कहा गया है : धेनु सदनाम् रईनाम ( 11.1.34) अर्थात गाय सभी प्रकार की समृद्धियों व उपलब्धियों का स्रोत है।’ गाय ही है जो मनुष्य को दूध और उससे बने उत्पाद प्रदान करती है। उसका गोबर ईंधन और खाद तथा उसका मूत्र औषधि और ऊर्वरक प्रदान करता है। जब बैल भूमि की जुताई करते हैं तो भूमि दीमक मुक्त हो जाती है। जब हम यज्ञ द्वारा दैविक शक्तियों से संपर्क करते हैं तो गाय का घी और उपला ही उपयोग में लाया जाता है। कहा जाता है कि जब गाय ने संत कबीर के ललाट को अपनी जिव्हा से स्पर्श किया था तो उनके भीतर असाधारण काव्य क्षमताएं जागृत हो गई थी। गाय, समृद्धि और बहुतायत का प्रतीक है, वह सारी सृष्टि के लिए पोषण का स्रोत है, वह जननी है, मां है। गाय का दूध एक पूर्ण आहार है। जिसका अर्थ है उसके दूध में सम्पूर्ण पोषण है। उसके दूध में केवल उत्तम कोलेस्ट्रॉल है और इस बात से भी कोई अनजान नहीं कि गाय अपने प्रश्वास में ऑक्स...

गोमातेचा अभिशाप

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