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पीठ एवं रीढ़ के आसन- भाग २

पिछले सप्ताह हमने लम्बे समय तक शरीर की युवावस्था और उर्जा बनाए रखने में एक दृढ़ रीढ़ के महत्त्व  पर चर्चा की थी।  इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए  इस लेख  मे रीढ़ के सूक्ष्म पहलु को समझते हैं । व्यायाम केवल स्थूल शरीर के लिए होता है अपितु योग आपके सम्पूर्ण शरीर से सम्बन्ध  रखता हैं अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय  और आनन्दमय कोश। आप जैसे जैसे सनातन क्रिया का अभ्यास करेंगे, आपके शरीर की ये सूक्ष्म परतें  स्वतः आपके समक्ष प्रत्यक्ष  होती जाएँगी।  स्थूल शरीर से सटि हुई परत  प्राणमय है, जहाँ ना‌‌‌‌‌ड़ियों और चक्रों में  प्राणों  (सृष्टि की शक्ति) का संचालन होता  हैं। इस संचालन में सुषुम्ना नाड़ी का विशेष महत्व है। इस नाड़ी पर शरीर के प्रमुख चक्र स्थित होते है और इसके माध्यम से ही  प्राण मूल चक्र से उच्चतम केंद्रों में प्रवाहित होते हैं। ध्यान आश्रम के क्लैरवॉयन्ट इसे शरीर के मध्य में एक  श्वेत रंग की  प्रज्वलित नली  की तरह देख सकते है। इस नाड़ी में किसी भी प्रकार का  अवरोध, प्राणों के प्रवाह में बाधा डालता ह...