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धृतराष्ट्र को क्यों सहना पड़ा सौ पुत्रों के मारे जाने का दुख

अगर आपको लगता है की आप इस संसार में खाली हाथ आएं हैं और खाली हाथ ही जाएंगे तो जो आपके नकारात्मक कर्म हैं वे आपके अंतिम समय आने पर निष्प्रभावी हो जाएंगे तो आप बहुत बड़ी भूल कर रहे है। आप किसी योगी को ऐसे विचार व्यक्त करते हुए नहीं पाएंगे क्योंकि वे जानते हैं की वे कर्मो के साथ इस संसार में आए हैं और जब इस शरीर को छोड़ेंगे तब कर्म ही साथ जाएंगे किसी भी व्यक्ति के शरीर के भार में जब वह जीवित है और जब उसकी आत्मा शरीर छोड़ देती है ,एक अंतर होता है |  यह आत्मा का भार नहीं बल्कि कर्मो का भार होता है|  इसी आशय को समझने के लिए 1902 में डॉ. डंकन मैकडॉगल ने मेसचुसेट्स में छः मरते हुए रोगियों पर एक प्रयोग किया,जिसमे की उन्हें एक विशेष रूप से बने तराजू पर मृत्यु से पूर्व रखा गया|  उनकी मंशा यह सुनिश्चित करना थी की मृत्यु से पहले और बाद के भार के अंतर को मापा जाए। रोगियों का उनकी मृत्यु की निकटता के आधार पर चयन किया गया| जैसे ही रोगी की मृत्यु हुई अचानक से वजन में तीन चौथाई औंस की कमी दर्ज की गई| यद्यपि हर एक बात का ध्यान रखा गया था जैसे की फेफड़ो में हवा का दवाब क्या है या फिर शर...