वर्ष का प्रत्येक दिन एक विशेष शक्ति द्वारा संचालित होता है। यदि किसी साधक की साधना या अभ्यास एक दिन के लिए भी छूटता है तो वह उस दिन की शक्ति से वंचित रह जाता है और उस कारण पूरे वर्ष की साधना प्रभावित होती है क्योंकि ब्रह्माण्ड में यदि एक भी वस्तु या पदार्थ अपनी व्यवस्था के दायरे में न हो तो उसका प्रभाव सृष्टि के प्रत्येक अंग पर दिखाई देता है। हमारा शरीर, पृथ्वी अन्य गृह, तारा मंडल आदि सभी पर यही कारण है कि योग में नियम तथा दैनिक अभ्यास पर जोर दिया जाता है। प्रत्येक शक्ति का एक दिन निर्धारित है। तंत्र और योग में कोई आडंबर या कोई कर्मकाण्ड विधि नहीं होती है केवल शक्ति की साधना की जाती है। दिन की तरह शक्ति के प्रत्येक स्वरुप का एक नाम भी है, किन्तु उनके नाम लेने से पूर्व कुछ विशेष साधनाओं द्वारा शरीर में उनको धारण करने की क्षमता उत्पन्न की जाती है। गुरु के सानिध्य में ध्यान करते समय साधकों को आरम्भ में सूर्य, चन्द्र आदि शक्तियों के कुछ सूक्ष्म अनुभव हो जाते हैं। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि यह शक्तियां कहां से आती हैं और इनका क्या तात्पर्य है ? अनेक साधकों ने सूर्य...
Journey of the spirit 'Sanatan Kriya'