क्रोध, निराशा, अवसाद, मानसिक संघर्ष, अपच, कोई विशिष्ट भोजन अथवा मौसम, इनमें से कोई भी कारण माइग्रेन को सक्रिय कर सकता है कुछ ब्लड प्रेशर या दमे की दवाइयों के पार्श्व प्रभाव से भी माइग्रेन हो जाता है। जीवन शैली का आधार 'अति सर्वत्र वर्जयेत्' अर्थात हर चीज़ में संयम व संतुलन होना चाहिए आयुर्वेद में अर्धावभेद (अर्थात शीश के आधे हिस्से में दर्द) और अनंतवात (अर्थात शीश में एकांगी दर्द होना), ये दो अवस्थाएँ माइग्रेन (अर्धशीर्षि) से मेल खाती हैं। क्रोध, निराशा, अवसाद, मानसिक संघर्ष, अपच, कोई विशिष्ट भोजन अथवा मौसम, इनमें से कोई भी कारण माइग्रेन को सक्रिय कर सकता है। कुछ ब्लड प्रेशर या दमे की दवाइयों के पार्श्व प्रभाव से भी माइग्रेन ट्रिगर हो जाता है। इस लिए किस कारण से आपका माइग्रेन सक्रिय होता है, इस पर गौर आपको स्वयं ही करना पड़ेगा। कारण जो भी हो, बढ़ा हुआ पित्त दोष ही इसकी मूल वजह है। असंतुलित पित्त दोष पाचन क्रिया में बाधा उत्पन्न करता है जिसके द्वारा निर्मित आम, मनोवह स्रोत्रों ( मानसिक प्रणालियों) में इकठ्ठा हो जाता है, जिसके परिणाम माइग्रेन होता है। ...
Journey of the spirit 'Sanatan Kriya'