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ध्यान फाउंडेशन योगी अश्विनी जी के नेतृत्व में हेल्प ए मंकी अभियान तेज

  यह लेख देशप्यार में प्रकाशित हुआ था  

शिमला: वानरों को मनुष्य के हाथों अत्यधिक कष्ट और उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है: योगी अश्विनी

  सृष्टि में कुछ भी स्थिर या स्थायी नहीं है, प्रतिपल या तो वह ऊपर की ओर जा रहा है या फिर नीचे की ओर। यदि सृष्टि के नियमों का पालन होता है तो विकास और उन्नति होती है और यदि उन्हीं नियमों की अवहेलना होती है तो पतन और विनाश। इस कलियुग में मनुष्य, आत्मिक पतन की ओर अग्रसर है। प्राकृत नियमों की अवहेलना हो रही है। सभी धर्म यह कहते हैं, कि, ‘देने में ही प्राप्ति है’ फिर भी,अभी तक कोई भी, ऐसा करने को तैयार नहीं। दुनिया के सभी धर्मों के महापुरुषों की जीवनी से पता चलता है कि उन्होंने स्वयं के लिए कभी कुछ भी एकत्रित नहीं किया था, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण और उत्थान के लिए निरंतर कार्य किए । आज, लोगों को उसी धर्म में विश्वास नहीं जिसे वह मानते हैं, वह तो केवल बढ़ रहे हैं . .. पतन और विनाश की ओर। प्रत्येक धर्म, नरक या जहन्नुम की बात करता है। नरक के द्वार उनके लिए खुलते हैं जो स्वार्थ के लिए जीते हैं, जो कोई भी अपराध या जुर्म होते हुए देखकर भी चुप खड़े रहते हैं। जब भी कोई किसी पशु या मानव को कष्ट में देखकर अपना मुँह फेर लेता है, उसे बचाने का कोई प्रयास नहीं करता, तो समझो...

बन्दरों को मारने के हिमाचल सरकार के आदेश का कड़ा विरोध किया ध्यान फाउंडेशन ने

शिमला, 20 अप्रैल (जनसमा)। ध्यान फाउंडेशन ने हिमाचल सरकार के उस आदेश का कड़ा विरोध किया है जिसमें  बन्दरों को वरमिन’ अर्थात् नाशक जीव घोषित कर उन्हें मारने का आदेश दिया है । फाउंडेशन पूरी निष्ठा से इस घोषणा के विरोध में है तथा बंदरों के पुनर्वास के लिए अदालत की शरण ली है। ध्यान फाउंडेशन के मार्गदर्शक योगी अश्विनी जी ने कहा  “बंदरों की हत्या, भगवान हनुमान के क्रोध को आमंत्रित करेगा। हम ऐसा नहीं कर सकते ।” उपरोक्त जानकारी देते हुए एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि फाउंडेशन  योगी अश्विनी जी के मार्गदर्शन में देशभर में पशु संरक्षण के कार्य में संलग्न है| वर्ष 2014 में ‘ हेल्प ए मंकी ’ अभ्यान के तहत  बंदरों को भोजन कराना, उनका बचाव करना, उनकी पीड़ा से अधिकारियों को अवगत कराना तथा उनके हक़ में क़ानूनी कार्यवाही कराना आदि कार्यों का बीड़ा उठाया | ध्यान फाउंडेशन के स्वयंसेवक मोहित शर्मा ने बताया “हम बंदरों को मकई, काला चना, और (कभी-कभी) केले का आहार देते हैं । साधारणतः 1000 किलो तक का राशन हम गोदाम में जमा रखते हैं”| शर्मा एक उद्योगपति हैं और इस भ...

बंदरो की जल्द होगी घर वापसी

The article was published in Dainik Jagran

Government not serious about resolving monkey menace

Dhyan foundation volunteers talking about our initiative of saving monkeys in Shimla at a press conference  

Why monkeys are being killed?

The article was published in Amar Ujala

Help us save monkeys

As per Section 62 of the Wildlife Protection Act, 1972, Indian States can send a list of wild animals to the Centre with a request to declare them vermin and enable their killing. The Central Government has the power to, by notification, declare any wild animal vermin, other than those specified in Schedule I and part 11 of Schedule H of the law, for any area for a given period of time. Till the notification is in force, these animals will be deprived of any kind of protection whatsoever under that law. Vermin are wild animals which are harmful to crops or people. A notification was issued on March 14, 2016 by the Central government, declaring monkeys vermin in Shimla for a period of six months and vide another notification in May this year, to treat monkeys as vermin for a period of one year in 38 tehsils of the State.The Himachal Pradesh government has sterilised one lakh monkeys till date out of the two lakhs plus reported monkeys in the State. The government has stated that t...