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श्राद्ध संस्कार का महत्व / श्राद्ध संस्कार -पितृ पक्ष

पूर्वजों की आत्म शांति हेतु एक मनुष्य के लिए पाँच महायज्ञ निर्धारित हैं, जिसमें से एक पितृ यज्ञ है तथा अन्य चार हैं- ब्रह्म-यज्ञ (शास्त्रों का अध्ययन), देव-यज्ञ ( अग्नि के माध्यम से देवताओं को प्रसाद की आहुति देना ), मनुष्य-यज्ञ ( संगी-साथियों को खाना खिलाना) तथा भूत-यज्ञ  ( सभी जीवों को भोज कराना ) पुराने समय में लोग अपने स्वर्गीय सगे -सम्बन्धियों ( पिता, दादा, पड़दादा आदि) की आत्म शांति व् मुक्ति के लिए,विशेष मन्त्र जाप और उनके नाम से दान दक्षिणा करते थे। हमारे पूर्वज, जन्म – मरण चक्र की निरन्तर प्रकृति व एक जन्म से दूसरे जन्म तक, एक आत्मा की यात्रा और उसके अनुभवों से भली-भाँति परिचित थे। प्राचीन मिस्र वासी अपने मृतकों की अंतिम यात्रा के समय, उनके शवों पर लेप लगाकर पिरामिड में उनके साथ खाद्य एवं आपूर्ति संग्रहित करते थे,जबकि वैदिक भारतीय अपने मृतकों के लिए श्राद्ध का संस्कार करते थे। प्राचीन यूनानी अपनी संस्कृति अनुसार मृतक की जीभ के नीचे सिक्के रखकर उन्हें ऐसी जगह दफनाते थे जहाँ से उन आत्माओं को उस लोक में ले जाया जाता था जहाँ मृत्यु के बाद उनका वास होता है। जीवन, आत्मा क...

Shradh sanskar ka mahtav

For propitiating your ancestors, conduct havans on Amavasya of Pitr Paksh (October 12) to avoid Pitr Dosh. For chant, contact  07053911420  Dhyan Foundation

Soul Purpose

Yogiji's article in Deccan chronicle today... http://epaper.deccanchronicle.com/articledetailpage.aspx?id=927509