Skip to main content

Posts

Showing posts with the label darshan

सद्गुरु शरण में जाने से ही मिलेगा मोक्ष - योगी अश्विनी

                    Yogi ji's article was published in Aaj ka samagya, Kokata newspaper.

शिव तत्व का अनुभव करना चाहते हैं या दर्शन

यह सृष्टि 16 तत्वों से निर्मित है। पहले पांच तत्व, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश, पृथ्वी लोक से संबंधित हैं। छठा तत्व ‘शिव तत्व’ है जिसका संबंध आज्ञा चक्र से है तथा वह माथे के केंद्र में स्थित है। विशुद्धि और आज्ञा चक्र के बीच में 11 तत्व हैं किंतु फिर भी शिव तत्व को छठा तत्व कहा जाता है क्योंकि शिव आदि, अनादि, अनंत, अखण्ड हैं जो बुद्धि की समझ से परे हैं। सारे तत्व उसी में निहित हैं।  एक सामान्य मनुष्य का मस्तिष्क 7 से 8 प्रतिशत की क्षमता पर कार्य करता है जो कि भौतिक दुनिया के अनुभवों के लिए पर्याप्त है किंतु शिव तत्व का अनुभव करने के लिए उच्च इंद्रियों की जागृति आवश्यक है। शरीर में तीन प्रकार की ग्रन्थियां होती हैं, ब्रह्म ग्रंथि, विष्णु ग्रंथि तथा रूद्र ग्रंथि। ब्रह्म ग्रंथि तथा विष्णु ग्रंथि खोलना अपेक्षाकृत सरल है किन्तु रूद्र ग्रंथि को खोलना बहुत कठिन है।  इसके खुले बिना शेष 11 तत्वों का अनुभव नहीं हो सकता।  16 तत्वों के अनुभव के बाद ही शिव और शक्ति का संयोजन होता है और शिव तत्व की प्राप्ति होती है। शिव तत्व का उद्देश्य केवल मोक्ष है और शिव दर्श...