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मन में रखें इस महान राजा जैसी भावना, वचन के लिए दान किया अपना शरीर

राजा शिबि की कथा महाभारत में दी गई है, अरण्य पर्व, अध्यायास 130-131 एक बार इंद्रदेव को राजा शिबि के उच्च चरित्र की परीक्षा करने की इच्छा हुई। ऐसा करने के लिए इंद्रदेव ने एक बाज का रूप धारण किया और एक सफेद कबूतर को हत्या करने के उद्देश्य से परेशान करने लगा। इस संकट से त्रस्त होकर वह सफेद कबूतर राजा शिबि के पास सहायता मांगने गया। अत्यंत दयालु राजा शिबि ने उस कबूतर को उसकी सुरक्षा करने का वचन दिया। जो बाज उस सफेद कबूतर के पीछे पड़ा था, वह भी राजा शिबि के पास आया और बोला कि कबूतर तो उसका प्राकृतिक आहार है और वह भूखा था। इसी कारण से उस बाज ने राजा को उस सफेद कबूतर को उसे सौंप देने का निवेदन किया परंतु चूंकि राजा उस कबूतर को पहले ही संरक्षण का वचन दें चुका था। उसने उस बाज को इस संदर्भ में मदद न कर पाने की अपनी मजबूरी दर्शाई।  राजा के इस भाष्य को सुनकर उस बाज ने (जो कि बाज के भेष में इंद्रदेव थे) राजा शिबि को उस कबूतर के वजन जितना उनके खुद के शरीर का मांस काटकर उसे उसकी क्षुधा क़ो मिटाने हेतु देने के लिए कहा। बाज की इस इच्छा को सुनते ही राजा शिबि ने अविलंब ही उसकी इच्छा पूर्ति क...