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सुंदर, स्वस्थ, तनावमुक्त जीवन के लिए करिए चक्र संतुलन प्राणायाम

पिछले सप्ताह हमने एक प्रयोग द्वारा अपनी हथेलियों के चक्रों से नाभि के भाग को स्कैन किया था। मुझे कई लोगों ने पत्र लिख अपने अनुभवों के बारे में बताया, जिसमे स्पंदन, आकर्षण, प्रतिकर्षण से लेकर गर्मी, ठंडक, हथेलियों में झुनझुनी आदि शामिल हैं । मानव शरीर परतों में निर्मित है, स्थूल शरीर उनमें से केवल एक परत है। जो आपने अनुभव किया वह स्थूल शरीर से अगली परत है, जिसे प्राणमय कोश अथवा आभा के नाम से भी जाना जाता है। जो कुछ भी इस स्थूल शरीर में होता है वह इसी कोश द्वारा नियंत्रित है। शरीर आत्मा का वाहन है। परंतु यह स्थायी नहीं है, इसका अंत निश्चित है। लेकिन, किस गति से शरीर का क्षय होता है, कितने शीघ्र यह वृद्धावस्था की ओर बढ़ता है, यह हम पर निर्भर है। वैदिक ऋषियों ने शरीर की विभिन्न परतों/कोशों को पूर्णतः समझ हमें योग का विज्ञान दिया और इस विज्ञान के प्रयोग से वे अपने शरीर को आखिरी श्वास तक तेजस्वी, दृढ और युवा बनाए रखने में सक्षम थे। वर्तमान समय में भी सनातन क्रिया का नियमित तथा सम्पूर्णता से अभ्यास कर रहे ध्यान आश्रम के साधकों का तेज तथा आकर्षण, योग के इस वैदिक विज्ञान की कारग...