भगवान हनुमान, ज्ञान के दाता हैं और जहाँ ज्ञान है वहाँ अविद्या नहीं रहती। सभी समस्याएँ अज्ञानता से ही उत्पन्न होती हैं। अविद्या के कारण ही, एक मनुष्य, रिश्ते – नाते, रुपया – पैसा, स्वास्थ्य आदि से स्वयं को बाँधे रखता है। यह सब तो थोड़े समय के लिए ही हैं, और जब इनके छूटने की बारी आती है तो बहुत कष्ट होता है। क्या इस दुनियाँ में कुछ भी ऐसा है जिसे आप सदा के लिए पकड़ कर रख सकें, यहाँ तक कि आपका शरीर भी अस्थायी है। यह सब जानते हुए भी हम अस्थायी का पीछा करते रहते हैं और परेशान होते हैं। ज्ञान और जानकारी, दो विभिन्न स्तर हैं, दोनों में फर्क है। ज्ञान आपका अपना अनुभव है जिसे गुरु प्रदान करते हैं और जानकारी या सूचना मस्तिष्क के लिए है। ज्ञान आपके अहंकार को खत्म करता है जबकि अधिक से अधिक जानकारी की प्राप्ति अहंकार को बढाती है। यही अहंकार मनुष्य को वास्तविकता से दूर करता है तथा योग के मार्ग में एक बहुत बड़ी बाधा बनता है। यदि आप अपने आस-पास विद्वान जनों पर दृष्टि डालेंगे तो उन्हें अहँकार से भरा हुआ पाएँगे, वहीं दूसरी ओर भगवान शिव के’ रूद्र ‘अवतार श्री हनुमान ज्ञान के भंडार हैं जिनका पराक्रम, ...