Skip to main content

Posts

Showing posts with the label curse of cow

गौमाता का अभिशाप

The article was published in Hindi Milap newspaper on 5th May 2016

गौमाता का अभिशाप

हमारे पूर्वजों को सृष्टि के नियमों का सम्पूर्ण ज्ञान था। वह गाय के महत्त्व और उसके प्रति दुर्व्यवहार और शोषण के परिणामों से भी भली – भांति परिचित थे। वेदों में भी गाय के महत्व का उल्लेख है।  अथर्ववेद में कहा गया है: धेनु सदनाम् रईनाम ( ११  . १  . ३४ ) अर्थात गाय सभी प्रकार की समृद्धियों व् उपलब्धियों का स्रोत है।’ यह गाय ही है जो मनुष्य को दूध और उससे बने उत्पाद प्रदान करती है।  उसका गोबर ईंधन और खाद तथा उसका मूत्र, औषधि और ऊर्वरक प्रदान करता है। जब बैल भूमि की जुताई करते हैं तो भूमि दीमक मुक्त हो जाती है, जब हम यज्ञ द्वारा दैविक शक्तियों से संपर्क करते हैं तो गाय का घी और उपला ही उपयोग में लाया जाता है। कहा जाता है कि जब गाय ने संत कबीर के ललाट को अपनी जिव्हा से स्पर्श किया था, तो उनके भीतर असाधारण काव्य क्षमताएँ जागृत हो गईं थीं। गाय, समृद्धि और बहुतायत का प्रतीक है, वह सारी सृष्टि के लिए पोषण का स्रोत है, वह जननी है, माँ है। गाय का दूध एक पूर्ण आहार है, जिसका अर्थ है उसके दूध में सम्पूर्ण पोषण है। उसके दूध में  केवल उत्तम कोलेस्ट्रॉल है और इस बात से भी कोई...