इस संसार में आप अकेले ही निराशा से पीड़ित नहीं हैं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति स्वास्थ्य सम्बन्धी, आर्थिक स्थिति, आपसी सम्बन्ध या समाज में अपनी मान – प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित या निराश है। इन समस्याओं की जड़ है स्वयं या दूसरों से की गयी अपूर्ण अपेक्षाएँ। आत्मा की मूल प्रकृति ही असंतुष्ट रहना है। इच्छाओं की पूर्ती तो जन्म-जन्मान्तर तक असम्भव है। योग इसका कारण मनुष्य की अज्ञानता को मानता है। इस संसार में तो सब कुछ नश्वर है, क्षणभुंगर है और इस सत्य का ज्ञान, और शांति का अनुभव केवल गुरु चरणों में ही प्राप्त हो सकता है।
मैं, यहाँ पर एक सरल सी क्रिया का विवरण दे रहा हूँ। गुरु के सानिध्य में इसका अभ्यास करने से मन शांत होकर परम सुख का अनुभव करता है और निराशा दूर होती है।
कमर सीधी रखते हुए एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँ और अपनी आँखें बंद करें। गुरु स्मरण करते हुए अपना सारा ध्यान छाती के मध्य भाग में ले जाएँ। वहाँ पर एक हल्के गुलाबी रंग के कमल पुष्प का आभास करें और उस पुष्प से निकलते हुए हल्के गुलाबी रंग के प्रकाश से अपने सम्पूर्ण शरीर को भरता हुआ देखें। धीरे – धीरे इस प्रकाश को अपने तत्कालिक परिवेश में फैलता हुआ देखें और फिर पूरी पृथ्वी और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को इस प्रकाश से भरा हुआ महसूस करें। इस विशाल गुलाबी वातावरण में अपने ह्रदय – कमल से निकलती हुई रौशनी को अपने गुरु के ह्रदय कमल में विलय करें। उनका हाथ पकड़ते हुए पूर्णतः स्थिर होकर किसी भी प्रकार की हलचल, विचार, या ध्वनि को त्याग दें और स्वयं को एक शून्य में छोड़ दें।
(जिनके गुरु नहीं हैं,वह www.dhyanfoundation.com पर दी हुई छवि पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते है ) क्षमतानुसार यह स्थिरता बनाये रखें और सबसे पहले अपनी हथेलियों के मध्य भाग में देखते हुए अपनी आँखें खोलें, तत्पश्चात कहीं और देखें। अपने अनुभवों के बारे में अवश्य लिखें।
The article was published in News n' Sahit on 9 May 2016.
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Yogi Ashwini, guiding light of Dhyan Foundation |
मैं, यहाँ पर एक सरल सी क्रिया का विवरण दे रहा हूँ। गुरु के सानिध्य में इसका अभ्यास करने से मन शांत होकर परम सुख का अनुभव करता है और निराशा दूर होती है।
कमर सीधी रखते हुए एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँ और अपनी आँखें बंद करें। गुरु स्मरण करते हुए अपना सारा ध्यान छाती के मध्य भाग में ले जाएँ। वहाँ पर एक हल्के गुलाबी रंग के कमल पुष्प का आभास करें और उस पुष्प से निकलते हुए हल्के गुलाबी रंग के प्रकाश से अपने सम्पूर्ण शरीर को भरता हुआ देखें। धीरे – धीरे इस प्रकाश को अपने तत्कालिक परिवेश में फैलता हुआ देखें और फिर पूरी पृथ्वी और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को इस प्रकाश से भरा हुआ महसूस करें। इस विशाल गुलाबी वातावरण में अपने ह्रदय – कमल से निकलती हुई रौशनी को अपने गुरु के ह्रदय कमल में विलय करें। उनका हाथ पकड़ते हुए पूर्णतः स्थिर होकर किसी भी प्रकार की हलचल, विचार, या ध्वनि को त्याग दें और स्वयं को एक शून्य में छोड़ दें।
(जिनके गुरु नहीं हैं,वह www.dhyanfoundation.com पर दी हुई छवि पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते है ) क्षमतानुसार यह स्थिरता बनाये रखें और सबसे पहले अपनी हथेलियों के मध्य भाग में देखते हुए अपनी आँखें खोलें, तत्पश्चात कहीं और देखें। अपने अनुभवों के बारे में अवश्य लिखें।
The article was published in News n' Sahit on 9 May 2016.
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