पिछले लेख में आध्यात्मिक चिकित्सा के मूलभूत सिद्धांतों पर चर्चा करने के बाद, हम अब चिकित्सा की तकनीकों को समझते हैं । आध्यात्मिक चिकित्सा की तकनीक दो प्रकार की होते हैं: आत्म चिकित्सा तथा किसी दूसरे की चिकित्सा ।इन दोनों में से किसी भी चिकित्सा को प्रारम्भ करने से पूर्व आध्यात्मिक चिकित्सक को कुछ तैयारियाँ करना आवश्यक होता है। आध्याम्तिक चिकित्सा या अन्य किसी भी साधना के लिए गुरु का होना अनिवार्य है, क्योंकि शक्ति का सञ्चालन वहीँ से होता है । चिकित्सा आरम्भ करने से पूर्व गुरु से संपर्क बनाएं । इसके लिए, गुरु स्मरण करते हुए एक आरामदायक आसन में बैठ जाएं । अपनी आँखें बंद कर शीश से छ: इंच ऊपर, गुरु की छवि का ध्यान करें । (यदि आपके गुरु नहीं हैं तो आप www.dhyanfoundation.comपर दी गई फोटो का ध्यान कर सकते हैं ) फिर अपना ध्यान छाती के मध्य में स्थित एक हलके गुलाबी रंग के कमल रुपी अनाहद चक्र पर ले जाएं । धीरे से, श्वास को धीमा और लंबा करते हुए, इस हलके गुलाबी रंग के कमल के फूल को धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाते हुए एक हलके गुलाबी रंग के प्रकाश पुंज के साथ,अपने गुरु के अनाहद चक्र में विलीन कर दीजिए।
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योगी अश्विनी |
लेख फिरोजपुर ऑनलाइन में प्रकाशित हुआ था।
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